Gomti River
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    गोमती नदी - गंगा की प्रमुख सहायक नदी एवं उत्तर प्रदेश की जीवनरेखा

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  • गोमती संरक्षण अभियान के तहत चला गोमती सेवा समाज का सफाई अभियान

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  • गोमती सेवा समाज ने यात्रा के माध्यम से जाना गोमती का सांस्कृतिक महत्त्व

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  • Walk to save our Geoheritage

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  • संरक्षित जल - संरक्षित जीवन : आरती कर दिया आदि गंगा गोमती को मान

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  • गोमती के प्रवाह क्षेत्र

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  • गोमती संरक्षण अभियान के तहत गोमती साइकिल मैराथन का सफलतापूर्वक आयोजन

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  • अविरल गोमती अभियान

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  • गोमती - विश्राम स्थली

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  • गोमती : वास्तविक उद्गम क्षेत्र

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OUR AFFILIATIONS

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Gomti River Waterkeeper

To strengthen our efforts, and to unite all water resources professionals, environmental engineers/scientists, and social reformists who are keen to find workable solutions to the problem of pollutions in Ganges and her tributaries, a ‘Gomti Study Group’ has been created. We will be contributing to the ‘knowledge-base’ as well as helping planners (and people) to have a model of river restoration on a long-term basis in our individual and institutional capacity.

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गोमती नदी- नदी और सभ्यताएं

नदियां जीवनदायिनी होती है, शायद यही कारण है कि हमारी परम्परा में नदियों को माँ का दर्जा प्राप्त है. नदियों को केवल पूजनीय एवं पवित्र ही नहीं माना जाता अपितु ये कुदरत के उस उपहार की भांति है जिसकी तुलना जीवनदायी अमृत से की गयी है. गांगेय क्षेत्र की प्रमुख नदी गोमती लाखों लोगों की जीवन रेखा है. गंगा-जमुनी तहज़ीब की साक्षात् गवाह, अवध की मीठी सी अदा से लबरेज बलखाती गोमती बनाम "आदिगंगा" आज अपनी उपनदियों के माध्यम से उत्तर प्रदेश के तकरीबन 15 शहरों के लिए महत्त्वपूर्ण बनी हुई है. गोमती नदी के किनारों पर विविध जैव वनस्पतियों और जीव जंतुओं का विकास हुआ है. इस ऐतिहासिक नदी के तटों पर अनेकों सुरुचिपूर्ण परिदृश्य स्थल भी हैं और इन पर कई महान कला संस्कृतियों के उद्भव की गौरव गाथा भी लिखी गयी है.

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गोमती को पुराणों के अनुसार ऋषि गोमती की पुत्री माना जाता है, कहा जाता है कि इंद्र देव को अहिल्या से मिले श्राप के पश्चात इंद्र द्वारा गोमती नदी के तटों पर ही पश्चाताप किया गया था. इंद्र ने 1001 शिवलिंग गोमती के किनारों पर ही निर्मित किये थे, जिस कारण आज गोमती तटों पर शिव मन्दिर बहुतायत मिलते हैं. गोमती केवल सामान्य नदी ही नहीं है अपितु अवध प्रदेश को ईश्वर से मिला एक अनुपम उपहार भी है. शिव पुराण में गोमती को आदेश दिया गया है कि वह माँ बनकर सबका लालन पालन करे. ऋग्वेद के अष्टम एवं दशम मंडल में गोमती के सदानीरा स्वरुप का उल्लेख मिलता है.

ततो गोमती प्राप्त नित्य सिद्ध निषेविताम,राजसूयं प्राप्नोति वायुलोकं च गच्छति 

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गोमती नदी गंगा से भी पुरानी मानी जाती है. मान्यता है कि मनु-सतरूपा ने इसी नदी के किनारे यज्ञ किया था और इसी नदी के किनारे नैमिषारण्य में 33 करोड़ देवी-देवताओं ने तपस्या की थी.

मनु-सतरूपा तपस्या के समय नैमिषारण्य में (तुलसीकृत, बालकाण्ड)

पहुंचे आई धेनुमति तीरा, हरषि नहाने निरमल नीरा.

भरत के राम से मिलने पर वन गमन व अयोध्या लौटने के समय (अयोध्या काण्ड)

तमसा प्रथम दिवस करि वासू, दूसर गोमति तीर निवासू,सई उतरि गोमति नहाए, चौथे दिवस अवधपुर आए.

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वस्तुतः गोमती मात्र सरिता ही नहीं, अपितु बहुत सी संस्कृतियों की वाहक भी है. इसके जल में अनगिनत जलचरों को ठिकाना प्राप्त हुआ है, इसके तटों पर स्थापित देवालयों में न जाने कितने वैदिक मन्त्रों की गूंज आज भी विराजमान है, अनेकों आबदारों को गोमती अपने तटों पर वजू करते देख गर्व करती आई है. इसके मीठे, शीतल जल ने ना जाने कितने कंठों की तृषा का शमन किया है.बेहिसाब कालखंडों को अपनी लहरों में समेटे है गोमती, भगवान श्री राम के अनुज की नगरी बसने की गवाह है गोमती, प्रभु श्री कृष्ण के अग्रज बलराम ने यहीं गोमती किनारे अपने अपराध का प्रायश्चित किया. अनेकों ऋषियों ने इसके किनारे अपने आश्रमों की स्थापना की और श्रीमद भागवत के पवित्र श्लोकों का साक्षी भी गोमती का नीर ही बना.

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तथागत ने गोमती के तट पर ही विश्राम कर धम्म पद के उपदेश संसार को दिए, विदेशी यात्री ह्वेनसांग धम्म सभा में सम्मानित होने के उद्देश्य से थेरी गाते हुए इसी गोमती के तटों से गुजरा. भारशिवों ने श्री हर्ष की धम्म सभा में उपद्रव मचाने के बाद गोमती को पार करके उत्तरांचल की और प्रस्थान किया तथा श्री हर्ष की सेनायें नदी तट पर उपद्रवियों को खोजती रह गयी थी. राजा जयचंद ने अपने प्रसिद्ध वीर सैनिकों आल्हा- उदल को इसी गोमती के किनारे पर पासियों की सेना का दमन करने के लिए भेजा था. महान मुग़ल सम्राट अकबर ने वाजिपेय यज्ञ कराने के लिए ब्राह्मणों को 1 लाख रूपये दिए और गोमती का पवित्र तट वैदिक ऋचाओं से सरोबार हो उठा.

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कितनी विचित्र है ना गोमती. वर्ष में लगभग नौ माह तक एक प्रौढ़ा के सामान मंथर गति से अपनी सर्पिल धारा में बहने वाली यह आदिकाल से बह रही गोमती बरसात में चंचल बालिका के समान उछलती कूदती वेग से बहने लगती है. लाखों लोगों की जीवनदायिनी है यह नदी. इसके सहारे किसान खेती करते हैं और इसके किनारे बसे उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ सहित अन्य नगरों, कस्बों एवं गाँवों का पेयजल स्रोत भी है गोमती.

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हिमालय में बर्फ पिघलने से बनी नदियों के विपरीत गोमती हिमालय की तलहटी में ही जन्म लेती है और प्रदेश से बहते हुए गंगा में समा जाती है.लगभग 960 किमी के अपने सफर में कईं  सहायक नदियों द्वारा जल प्राप्त करते हुए गोमती अंततः वाराणसी से 27 किमी की दूरी पर स्थित सैदपुर में कैथी नामक स्थान पर गंगा की गोद में विलीन हो जाती है. गोमती की इस यात्रा में उत्तर प्रदेश के 15 शहर सम्मिलित होते है, जिनके किनारों को गोमती सदियों से सींच कर पोषित कर रही है.

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गोमती ने आदिकाल देखा, इतिहास देखा, अंग्रेज शायद इसको देख कर टेम्स की याद पूरी कर लेते थे, इसीलिये उन्होंने अवध की राजधानी लखनऊ में आधिपत्य के पश्चात गोमती किनारे अपने विराट भवन बनाए. लखनऊ के स्थापत्य पर अमिट छाप छोड़ने वाले क्लौड मार्टिन ने तो अपना निवास छत्तर मंजिल ऐसा बनाया कि गर्मी से बचने के लिए उसका एक निजी कक्ष गोमती की तलहटी में था. गोमती नदी कहीं भी सीधी नहीं बहती है. घूमती हुई बहने के कारण पहले इसका नाम घूमती नदी था, जो कालांतर में घूमती नदी, गोमती नदी के रूप में जानी जाने लगी. आज इसे आदिगंगा, गुमती आदि नामों से भी उच्चारित किया जाता है.

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गोमती का उद्गम अब तक समझे जाने वाले फुलहर झील में नहीं बल्कि उस से लगभग 55 किमी उत्तर में शिवालिक की तलहटी में भाभर में स्थित है. पर हाँ यह बात अवश्य है कि उद्गम से फुलहर झील तक गोमती जल सतह पर नहीं, बल्कि भूमिगत जल धारा के रूप में बहती है, जिसके निशान पुराने श्वेत-श्याम सेटेलाईट चित्रों में साफ़ नजर आते हैं. दो करोड़ वर्ष पूर्व हिमालय के उदय से नए ढलान विकसित हुए उन पर बारिश का पानी बहना प्रारम्भ हुआ. पानी अपने वेग के साथ नवोदित हिमालय से गोलाश्म, बालू आदि लेकर चला पर मैदान में आने पर वेग कम होने से अपने ‘भार’ को अधिक दूरी तक नहीं ले जा सका. अभी तक यह क्रम जारी है और पानी द्वारा लाये बालुकाश्म, गोलाश्म एवं बालू की परतें जमा होती गयी. चूंकि इनसे छन कर जल भूमिगत हो जाता है, इसलिए इस क्षेत्र में जल सतह पर वहीं मिलता है जहाँ पर ‘क्ले’ की परतें जमा हो गयी हों.

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गोमती और उसकी सहायक नदियों का जन्म हिमालय के उदय के काफी बाद हुआ होगा. गोमती के जल ग्रहण क्षेत्र में पूरनपुर तक कभी घना जंगल हुआ करता था. हमारे ‘लकड़ी प्रेम’ तथा खेती एवं घरों के लिये ज़मीन की बढती मांग ने वनाच्छादित प्रदेश को ‘गंजा’ कर दिया. प्रत्यक्ष है कि इसका सीधा प्रभाव गोमती में आने वाली गाद पर पड़ा. गोमती यात्रा के दौरान देखने में आया कि पीलीभीत जिले में लगभग 45 कि मी तक नदी की धारा पुनः भूमिगत हो जाती है. पीलीभीत के ही एकोत्तरनाथ जल धारा पुनः सतह पर प्रगट हो जाती है. कभी यह क्षेत्र घने वन से ढका था. अब उस स्थान पर धान और गन्ने के खेत हैं जिसके लिए जल की मांग बहुत है.

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गोमती के मार्ग में बसे नगर सीतापुर, लखीमपुर में चीनी मीलों, प्लाईवुड फैक्ट्रियों का कचरा, लखनऊ, सुल्तानपुर एवं जौनपुर का नगरीय अपशिष्ट गोमती का बुरा हाल कर देता है. गोमती में सर्वाधिक प्रदूषण लखनऊ तथा जौनपुर में होता है, गोमती में सर्वाधिक प्रदूषण लखनऊ एवं जौनपुर में होता है, जहां कारखानों के अतिरिक्त नालों का पानी व ठोस अपशिष्ट अभी भी नदी में डाला जा रहा है. इसके अतिरिक्त गोमती बैराज द्वारा जल रोकने के फलस्वरूप हुए ठहराव से नदी के अंदरूनी जलस्त्रोत भी बंद हो गये हैं व उसमें भर गयी गाद के कारण नदी की नैसर्गिक शोधन शक्ति समाप्तप्राय हो गयी है.

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लखीमपुर, सीतापुर क्षेत्र में बड़ी संख्या में चीनी मिलों, प्लाईवुड, कागज आदि फक्ट्रियों द्वारा बड़ी मात्र में असंशोधित वेस्टेज सीधे गोमती व उसकी सहायक नदियों में डाला जाता है. सुल्तानपुर एवं जौनपुर में भी नगरीय प्रदूषण की मात्रा अत्याधिक है. साथ ही कस्बों व शहरों के नालों द्वारा मानव अपशिष्ट भी सीधे गोमती में पहुंचता है. यद्यपि अपनी सहायक नदियों के जल से नैमिषारण्य के पास नदी में जल स्तर सम्बंधी कुछ सुधार हुआ है, परन्तु क्षेत्र में वनों की अंधाधुंध कटाई के कारण भूजल स्तर में कमी आई है. वस्तुत: गोमती आज अपने अस्तित्व को लेकर लगातार संघर्ष कर रही है. प्रदूषण के अतिरिक्त सरकार की रिवरफ्रंट की अत्याधुनिक योजना का असर गोमती के इको सिस्टम पर साफ़ देखा जा सकता है. नदी के नाजुक किनारों को कंक्रीट के जाल से पाट देना और सौंदर्यीकरण के नाम पर गोमती के आस पास की प्राकृतिक हरियाली को समाप्त कर देने से हालात और अधिक बदतर हुए हैं.

गोमती रिवरफ्रंट डेवलपमेंट  - समस्याएं एवं संभव निराकरण 

 

रिसर्च

गोमती नदी व उसके जलग्रहण क्षेत्र पर किये गये अध्ययनों को अधिक गहनता से जानने के लिए अग्रलिखित लेखों का पठन करें.

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गोमती नदी अपडेट - क्रिसमस डे पर गोमती के सेंटा बने स्कूली छात्र, नदी किनारे चला स्वच्छता अभियान

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गोमती नदी अपडेट - मनरेगा के तहत गोमती उद्गम स्थल को संवारने के प्रयास हुए आरंभ

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गोमती नदी अपडेट - गोमती की जमीन होगी अतिक्रमण मुक्त, आरंभ हुआ नदी सीमांकन कार्य

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गोमती नदी - संकट मोचन फाउंडेशन वाराणसी की रिपोर्ट, जौनपुर में गोमती का प्रदूषण पहुंचा खतरनाक स्तर पर

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गोमती नदी अपडेट - गोमती की सांस्कृतिक डॉक्यूमेंटेशन के लिए गोमती सेवा समाज ने की एक और गोमती यात्रा

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गोमती नदी अपडेट - निर्मल गोमती..अविरल गोमती हेतु पुरैना घाट में आयोजित विचारगोष्ठी

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गोमती नदी अपडेट - संरक्षित गोमती..संवर्धित गोमती हेतु मोहम्मदी खीरी के इमलिया घाट पर विचारगोष्ठी का आयोजन

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नदी सेवा के अनूठे जज्बे और प्रकृति के प्रति आत्मीय भाव के गोमती नदी के संरक्षण के लिए कार्य कर रहा गोमती सेवा समाज निरंतर प्रवाहमान गोमती के...
गोमती नदी अपडेट – आदि गंगा गोमती की आरती और पौधारोपण के जरिये दिया गया नदी संरक्षण का संदेश

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दीपावली का त्याहौर महज कुछ ही दिन दूर है, ऐसे में समाज को अपने घर-परिवार-पड़ोस के साथ साथ नदियों और पर्यावरण के प्रति भी नैतिक जिम्मेदारी की ...
गोमती संरक्षण हेतु अमरीदेवी घाट पर वृक्षारोपण - गोमती संरक्षण को आगे बढ़ेंगे हाथ..तो कैसे नहीं बनेगी बात

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अविरल गोमती...कहने भर के लिए शब्द हैं, किन्तु इन शब्दों को जीवंत मानकर चलने वालों के लिए एक प्रेरणा हैं. प्रेरणा..स्वच्छन्द, उन्मुक्त, जीवंत...
गोमती नदी अपडेट – सेव गोमती कैंपेन के अंतर्गत टीम गोमती सेवा समाज का अमरीदेवी घाट पर निरीक्षणात्मक भ्रमण

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मां गोमती को स्वच्छ और अविरल बनाने के क्रम में अथक रूप से जुटी गोमती सेवा समाज अपने निरंतर प्रयासों से गोमती को निर्मल बनाने के साथ साथ आम ...
गोमती नदी अपडेट – संरक्षित पर्यावरण की ओर सार्थक पहल, मियांपुर गौशाला में टीम गोमती ने किया पौधारोपण

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हरीतिमा से भरपूर धरती पर ही हम जल और जीवन की कल्पना कर सकते हैं और वर्तमान में यही हरीतिमा पृथ्वी से दूर होती जा रही है. हमारी अतिभोगीवादिता...
गोमती नदी अपडेट - गोमती की वास्तविक दशा जानने हेतु गोमती सेवा समाज की आठवीं पैदल गोमती यात्रा

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अवध क्षेत्र के अदब और तहजीबों से भरे इतिहास को अपनी गोद में समाहित करने वाली गोमती नदी जो अपने सदानीरा स्वाभाव के लिए जानी जाती थी, आज मानवी...
गोमती नदी अपडेट – लखनऊ के नालों से प्रदूषित हो रही है गोमती : यूपीपीसीबी रिपोर्ट से उजागर सच्चाई

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उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा जनवरी-दिसम्बर 2018 के अंतराल में लिए गए आंकड़ों के आधार पर यह स्पष्ट होता है कि लखनऊ में गोमती के ...
गोमती नदी अपडेट - मढ़ियाघाट स्थित ऐतिहासिक बाबा पराशर मंदिर पर गोमती सेवा समाज की सप्तम गोमती यात्रा

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प्रकृति को करीब से जानने और गोमती नदी की समस्याओं का बेहतर अवलोकन करने के उद्देश्य से गोमती सेवा समाज विभिन्न जन जागरूकता कार्यक्रमों के माध...
गोमती नदी अपडेट - गोमती सेवा समाज की प्रथम गोमती साइकिल मैराथन

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लोगों को पर्यावरण, नदी व स्वास्थ्य के प्रति जागरुक करने के उद्देश्य से निकाली गई 30 किलोमीटर मैराथन यात्रा के अंतर्गत गोमती मित्रों सहित समा...
Gomti Nadi Update - Study on performance evaluation of STPs in Lucknow and Issues of wastewater sustainability

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Sustainable water and Sanitation : Best management practices - "Potential and Challenges" ...
Gomti nadi update - Restoration of the Gomti Riverfront in Lucknow : Claude Martin’s Legacy

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The 18th-century French adventurer Claude Martin left an extraordinary architectural legacy in Lucknow, the city of the Nawabs. Many buildi...
गोमती नदी अपडेट - सुना है..यहां गोमती बहा करती थी

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क्रिस्टी मुर्रे ने वर्ष 2010 में प्रकाशित अपनी पुस्तक "इंडिया डार्क" में लखनऊ यात्रा संस्करण के अंतर्गत गोमती के किनारे किसी कार्यक्रम के दौ...
गोमती नदी अपडेट - गोमती की अविरलता हेतु हनुमान घाट पर स्वच्छता अभियान

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दिंनाक - 17 अक्तूबर, 2017 जौनपुर, उत्तर प्रदेश जीवनदायिनी गोमती के जीवन को बचाने तथा उसकी अविरलता को जीवित रखने के उद्देश्यार्थ प्रदेश के जि...
गोमती नदी अपडेट - गोमती की दशा बदतर: बगैर शोधन सीवेज किया जा रहा है गोमती के हवाले

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4 जून, 2018लखनऊ, उत्तर प्रदेश गोमती को सीवेज की मुक्त करने की कोशिशें मजाक बनकर रह गई है. जल निगम ने अपने ही दावे को धता बता कर हर रोज सै...
गोमती नदी अपडेट - गोमती घाट पर इफ़्तार - गंगा जमुनी तहज़ीब की अनूठी झांकी

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11 जून, 2018लखनऊ, उत्तर प्रदेश गोमती केवल अपनी गंगा-जमुनी तहजीब के कारण लखनऊ में ही नहीं अपितु विभिन्न प्रवाह क्षेत्रों सीतापुर, हरदोई, पीली...
गोमती नदी अपडेट - सूख रही गोमती की धारा, कैसे होगा संरक्षण ?

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10 जून, 2018लखनऊ, उत्तर प्रदेश गोमती रिवर फ्रंट डेवलपमेंट की तमाम योजनाओं नेनदियों की हालत को केवल खराब ही किया है. वर्तमान में गोमती नदी की...
गोमती नदी अपडेट - गोमती नदी: सघन जलकुम्भी से कुपोषित हो रही जलीय जैव विविधता

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19 जून, 2017लखनऊ, उत्तर प्रदेश जलीय जीवन के अस्तित्व पर मंडराते खतरे के रूप में जलकुम्भी एक प्रकार की खरपतवार है, जो जल में उत्पन्न होकर विभ...
गोमती नदी अपडेट - गोमती की सहायक नदियां हो रही उपेक्षा का शिकार

गोमती नदी अपडेट - गोमती की सहायक नदियां हो रही उपेक्षा का शिकार

नदियां एक बेहतर व्यवस्थित प्रणाली के अंतर्गत बहती हैं, इन्हें कुदरत द्वारा एक दुसरे के साथ कुछ इस प्रकार जोड़ा गया है कि मुख्य नदी की जल आपूर...
गोमती नदी अपडेट - गोमती संरक्षण - कुकरैल नाले के बेहतर प्रबंधन की भी आवश्यकता

गोमती नदी अपडेट - गोमती संरक्षण - कुकरैल नाले के बेहतर प्रबंधन की भी आवश्यकता

जब हम एक स्वस्थ नदी तंत्र की बात करते है तो केवल एक नदी नहीं अपितु उससे जुड़ी तमाम उपनदियों, प्राकृतिक ड्रेनेजों आदि पर भी हमारा ध्यान दृष्टि...
गोमती नदी अपडेट - गोमती नदी : भारत की सांस्कृतिक धरोहर

गोमती नदी अपडेट - गोमती नदी : भारत की सांस्कृतिक धरोहर

भारतवर्ष में यदि सरिताओं का सारतत्त्व जानना हो तो भोर होते ही किसी नदी तट का रुख कर लीजिए, जहां साधुजन एवं अन्य महात्मन लोग नदी वंदन के लिए ...
गोमती नदी अपडेट - गोमती स्वच्छता मिशन - कुड़ियाघाट पर अविरल गोमती के लिए अनूठी पहल

गोमती नदी अपडेट - गोमती स्वच्छता मिशन - कुड़ियाघाट पर अविरल गोमती के लिए अनूठी पहल

14 अगस्त, 2017 लखनऊ, उत्तर प्रदेश स्वच्छ व अविरल गोमती हेतु और जन जन को गोमती संरक्षण से जोड़ने के उद्देश्य से अगस्त 2017 से कुड़ियाघाट पर नदी...
गोमती नदी अपडेट- गोमती नदी की कथा बनाम व्यथा

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सदानीरा रही गोमती हजारों वर्षों से अनेकों संस्कृतियों को सहेज रही है, कईं सभ्यताओं को पनपने में अपनी भूमिका प्रदान कर चुकी है, अनगिनत पौराणि...
गोमती नदी अपडेट - गोमती नदी - भौगोलिक चित्रण

गोमती नदी अपडेट - गोमती नदी - भौगोलिक चित्रण

गोमती भारत की मुख्य नदी गंगा की प्रमुख सहयक नदियों में से एक है, जो माधोटांडा, पीलीभीत के 51 किमी पूर्व से गोमत ताल से उद्गमित होती है. गोमत...
गोमती नदी अपडेट - एक जीवंत नदी की कैसी दुर्दशा ?

गोमती नदी अपडेट - एक जीवंत नदी की कैसी दुर्दशा ?

23 मार्च, 2017लखनऊ, उत्तर प्रदेश नदियों के किनारे किनारे अनगिनत संस्कृतियां पोषित होकर अविस्मरणीय ऐतिहासिकता को प्राप्त करती हैं. जल है तो ज...
गोमती नदी अपडेट - गोमती नदी एवं गोमती रिवरफ्रंट लखनऊ- नवीनीकरण तथा विकास कार्यों की समीक्षा

गोमती नदी अपडेट - गोमती नदी एवं गोमती रिवरफ्रंट लखनऊ- नवीनीकरण तथा विकास कार्यों की समीक्षा

विश्व के विभिन्न देशों में प्रवास के अनुभव और विगत दस वर्षों से न्यू यॉर्क जैसे घनी आबादी वाले शहर में रहने के बाद, वो भी हडसन नदी के बिलकुल...
गोमती नदी अपडेट - लखनऊ में असंशोधित सीवेज से दम तोड़ रही है गोमती

गोमती नदी अपडेट - लखनऊ में असंशोधित सीवेज से दम तोड़ रही है गोमती

गोमती नदी जिसे कभी अवध क्षेत्र के लिए वरदान माना जाता था, आज लखनऊ में लगातार गिराए जा रहे असंशोधित नालों के कारण दम तोड़ रही है और इसके संरक्...

गोमती को और जानें

फोटो गैलरी

गोमती नदी से जुड़े अभियान फोटो द्वारा संकलित

गोमती संरक्षण अभियान के तहत चला गोमती सेवा समाज का सफाई अभियान

गोमती संरक्षण अभियान के तहत चला गोमती सेवा समाज का सफाई अभियान

प्रकृति -पर्यावरण के प्रति लोगों में अलख जाने के उद्देश्य से टीम गोमती सेवा समाज ने विवेकानंद घाट (इमलियाघाट) पर विभिन्न विद्यालय के बच्चों के साथ साफ -सफाई अभियान चलाया। साफ सफाई अभियान के बाद घाट पर पूर्व में रोपित पौधों का निरीक्षण भी गोमती सेवा समाज के द्वारा किया गया।

गोमती सेवा समाज ने यात्रा के माध्यम से जाना गोमती का सांस्कृतिक महत्त्व

गोमती सेवा समाज ने यात्रा के माध्यम से जाना गोमती का सांस्कृतिक महत्त्व

आदिगंगा गोमती को जन जन से जोड़ने की मुहिम के लिए निरंतर कार्य कर रहे गोमती सेवा समाज के सदस्यों ने हाल ही में शब्दसत्ता पत्रिका के संपादक सुशील सीतापुरी के साथ मिलकर टेढ़ेनाथ धाम से बरुआ घाट की यात्रा संपन्न की. इस कड़ी में गोमती मित्रों के अतिरिक्त संत-महंत और स्थानीय कार्यकर्ता भी उनके साथ उपस्थित रहे और गोमती नदी संस्कृति का अवलोकन किया.

Walk to save our Geoheritage

Walk to save our Geoheritage

On Sunday 21st July, Lucknow, Walk organized to Save our Geoheritage including rivers, springs and wetlands, more than 200 people joined to spread awareness about conserving our rich geo-heritage. The program was supported by Birbal Sahni Institute of Paleosciences, The Society of Earth Scientists, WaterAid and Gomti River Waterkeeper.

संरक्षित जल - संरक्षित जीवन : आरती कर दिया आदि गंगा गोमती को मान

संरक्षित जल - संरक्षित जीवन : आरती कर दिया आदि गंगा गोमती को मान

गोमती सेवा समाज के सदस्यों ने आदि गंगा गोमती नदी के रविन्द्र नगर मियांपुर स्थित इमलिया घाट पर गोमती आरती का आयोजन किया, जिसमें बड़ी संख्या में लोगों ने हिस्सा लेकर इस कार्यक्रम को सार्थक बनाया. इसके अतिरिक्त पूर्व में लगे पौधों का निरीक्षण करते हुए गोमती सेवा समाज के कार्यकर्ताओं ने सूखे पौधों के स्थान पर पुनः नए पौधों को रोपित किया.

गोमती के प्रवाह क्षेत्र

गोमती के प्रवाह क्षेत्र

गोमती पीलीभीत के माधोटांडा कस्बे से आगे बढ़ते हुए लखीमपुर, सीतापुर, लखनऊ आदि शहरों में प्रवाहित होती है.

गोमती संरक्षण अभियान के तहत गोमती साइकिल मैराथन का सफलतापूर्वक आयोजन

गोमती संरक्षण अभियान के तहत गोमती साइकिल मैराथन का सफलतापूर्वक आयोजन

गोमती सेवा समाज के गोमती संरक्षण अभियान के तहत आयोजित यात्राओं की श्रृंखला में प्रथम बार गोमती साइकिल मैराथन का सफलतापूर्वक आयोजन किया गया. प्रसिद्ध वाइल्ड लाइफ फोटोग्राफर सतपाल सिंह के नेतृत्व में इस गोमती मैराथन को सेना से रिटायर सूबेदार हरदीप सिंह जी ने हरी झंडी दिखाकर रवाना किया.

अविरल गोमती अभियान

अविरल गोमती अभियान

स्वच्छ गोमती अभियान के तहत सामाजिक कार्यकर्ताओं के कईं समूह गोमती को अविरल व नैसर्गिक बनाए रखने के लिए निरंतर प्रयासरत हैं.

गोमती - विश्राम स्थली

गोमती - विश्राम स्थली

गोमती 960 किमी का सफ़र तय करते हुए वाराणसी में गंगा की गोद में विश्राम पाती है.

गोमती : वास्तविक उद्गम क्षेत्र

गोमती : वास्तविक उद्गम क्षेत्र

गांगेय क्षेत्र की मुख्य नदी गोमती का वास्तविक उद्गम फुलहर झील से लगभग 55 किमी उत्तर में शिवालिक की तलहटी के भाभर में स्थित है.

वीडियो गैलरी

गोमती नदी से जुड़े अभियान वीडियो द्वारा संकलित

गोमती रिवरफ्रंट डेवलपमेंट

गोमती रिवरफ्रंट डेवलपमेंट

अपने अस्तित्व को जूझती गोमती नदी एवं गोमती रिवरफ्रंट लखनऊ के नवीनीकरण तथा विकास कार्यों की समीक्षा

कंक्रीट की दीवारों में बहती गोमती नदी

कंक्रीट की दीवारों में बहती गोमती नदी

वर्तमान में गोमती रिवरफ्रंट की भेंट चढ़ते हुए प्रदूषण की चरम सीमा तक पहुंच चुकी है तथा गंगा नदी से भी अधिक प्रदूषित हो चुकी है.

गोमती रिवरफ्रंट का सपनीला सच

गोमती रिवरफ्रंट का सपनीला सच

गोमती नदी के इकोलॉजिकल सिस्टम की परवाह किये बिना अत्याधुनिक रिवरफ्रंट परियोजना का क्रियान्वन कितना उचित है.

कुकरैल नाले के बेहतर प्रबंधन की आवश्यकता

कुकरैल नाले के बेहतर प्रबंधन की आवश्यकता

गोमती को सर्वाधिक प्रवाह प्राकृतिक कुकरैल नाले से प्राप्त होता है, जो मानसून के सीजन में नदी की मुख्य धारा को गति प्रदान करने में अग्रणीय है.

उपेक्षा की शिकार गोमती नदी

उपेक्षा की शिकार गोमती नदी

सभी बहाव क्षेत्रों से गोमती आज अधिकतर प्रदूषित जल ही ग्रहण कर रही.गोमती और उसकी सहायक नदियों का प्रवाह विगत कुछ वर्षों में अत्याधिक घटा है.

गोमती की व्यथा - वी.के जोशी जी के द्वारा

गोमती की व्यथा - वी.के जोशी जी के द्वारा

सदानीरा रही गोमती आज अपने अस्तित्व के लिए संघर्ष कर रही है, तो उसके मूल में सरकारी आवाम एवं सामान्य जनता की लापरवाही भरी नीतियां हैं.

गोमती नदी से जुड़ी रिसर्च, अभियानों, यात्राओं की जानकारी ईमेल पर पाने के लिए नीचे दिया फॉर्म भरें

गोमती नदी उत्तर भारत के बहुत से जिलों से प्रवाहित होते हुए गंगा नदी में विलीन होती है, इस नदी पर संकट ना सिर्फ करोड़ो लोगों के जीवन पर संकट है, बल्कि गंगा बेसिन की हज़ारों सालों की भारतीय संकृति, सभ्यता और जीवन के स्वरुप पर संकट है. गोमती की अविरलता बनाए रखने हेतु प्रकृति और समाज से जुड़े लोग लगातार कार्य कर रहे हैं. इन अभियानों से जुडी यात्राओं, शोध, सामुदायिक कार्यों और ज़मीनी स्तर पर पड़ रहे प्रभावों को दस्तावेज़ित करने का प्रयास हम सभ्य समाज के सहयोग से चलित इस पोर्टल पर करेंगे. प्रासंगिक अपडेट पाने के लिए अपना नाम और ईमेल ज़रूर भरें.

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