14 अगस्त, 2017
लखनऊ, उत्तर प्रदेश
स्वच्छ व अविरल गोमती हेतु और जन जन को गोमती संरक्षण से जोड़ने के उद्देश्य से अगस्त 2017 से कुड़ियाघाट पर नदी तट की सफाई का अभियान शुरू किया गया. श्री शुभ संस्कार समिति की अध्यक्षता में समिति के महामंत्री ऋद्धि किशोर गौड़ और आशीष अग्रवाल ने यह निर्णय लिया गया कि प्रत्येक रविवार गोमती नदी को संयुक्त अभियान के अंतर्गत स्वच्छ करने की कवायद शुरू की जाएगी. इस अनूठे अभियान का प्रारम्भ ऋषि कौन्डिल्य की तपस्थली रहे कुड़ियाघाट से किया गया. नदी स्वच्छता अभियान से जुड़े स्वयंसेवियों के समूहों ने पॉयनियर मोंटेंसरी स्कूल के छात्रों के साथ मिलकर इस जागरूकता अभियान को संभव बनाया. इसके तहत स्वयं सिद्ध समूह के कार्यकर्ताओं शिखा त्रिपाठी, आरआर सिन्हा, राजीव एवं नदी विशेषज्ञ वेंकटेश दत्त द्वारा स्कूली विद्यार्थियों के साथ मिलकर नदी से जलकुम्भी और सिल्ट निकाली गयी. पृथ्वी इनोवेशन की मोनिका बंसल, अनुराधा गुप्ता आदि ने पौधारोपण का कार्य किया. कुड़ियाघाट केर सौंदर्यीकरण हेतु दो पंचवटी बनाने का विचार भी श्री शुभ संस्कार समिति के नेतृत्व में किया जा रहा है, जिसमें विविध प्रकार के पुष्पों के अतिरिक्त पारिजात तथा रुद्राक्ष के पौधे भी रोपे जायेंगे.
स्कूली छात्रों द्वारा नदी किनारों से खंडित मूर्तियां और पूजन सामग्री भी निकली गयी. इस कार्य में भोजपुरी कवि कृष्णानन्द राय, राम सरन आदि ने भी सहभागीदारी की. मूर्ति संगठन के पदाधिकारियों ने मूर्तियों से पर्यावरण को होने वाले खतरों से आम जनता को अवगत कराते हुए बताया कि, "ये मूर्तियां नदियों को बहुत अधिक प्रदूषित करती है. इनमे प्रयोग होने वाले रासायनिक रंग, सीसा, पारा, प्लास्टिक एवं अन्य भरी धातुएं नदी के इको सिस्टम को बुरी तरह प्रभावित करती हैं." इन सभी के दुष्प्रभावों से गोमती नदी तंत्र को बचाने के लिए आम जनता से अपील की गयी कि वें पक्की मूर्तियाँ व पूजन सामग्री को नदी में ना डालकर मूर्ति बैंक में रखे, जिन्हें बाद में कार्यकर्ताओं द्वारा उचित प्रकार से विसर्जित किया जाएगा.
इस श्रमदान मिशन के अंतर्गत पदाधिकारियों ने 25 पौधे भी कुड़ियाघाट नदी तट पर रोपें. गोमती नदी की अविरलता के लिए इसी प्रकार के सामुदायिक प्रयासों की आवश्यकता बनी हुई है. धीरे धीरे ही सही परन्तु लोगों में मरते गोमती तंत्र को बचाने की भावना घर कर रही है. सभी कार्यकर्ताओं ने भी एक स्वर में कहा कि गोमती की स्वच्छता ही सही मायने में स्वच्छ भारत अभियान की सफलता होगी.