गोमती भारत की मुख्य नदी गंगा की प्रमुख सहयक नदियों में से एक है, जो माधोटांडा, पीलीभीत के 51 किमी पूर्व से गोमत ताल से उद्गमित होती है. गोमत ताल जिसे फुलहर झील के नाम से भी जाना जाता है, वहां से गोमती एक पतली धारा के रूप में प्रवाहित होती है. लगभग 960 किमी के अपने सफर में कईं सहायक नदियों द्वारा जल ग्रहण करते हुए गोमती अंततः वाराणसी से 27 किमी की दूरी पर स्थित सैदपुर में कैथी नामक स्थान पर गंगा में विलीन हो जाती है. गोमती के जलग्रहण क्षेत्र में प्रदेश के 15 शहर सम्मिलित होते हैं.
एक छोटी धारा के रूप में गोमती अपने उद्गम क्षेत्र पीलीभीत के घाटमपुर से निकलने के तकरीबन 20 किमी के बाद उपनदी गैहाई यानी वर्षाती नाला से जल प्राप्त करके अपना आकार थोडा विस्तृत करती है. इसके उपरांत शाहजहांपुर में सुकना और तरेउना नामक सहायक नदियों से मिलती हुई गोमती अपने उद्गम से 100 किमी की दूरी पर लखमीरपुरखीरी जिले की मोहम्मदखीरी तहसील में सुखेता, छोहा तथा आंध्रछोहा उप सरिताओं से जल प्राप्त करती है. इससे आगे सीतापुर जिले में कथिना, सरायन एवं मैलानी उपनदी से मिलकर गोमती अपने जलक्षेत्र में विस्तार करती है. फुलहरी झील से लखनऊ पहुंचने में गोमती को 240 किमी का सफर तय करना होता है, लखनऊ के 12 किमी के क्षेत्र को सिंचती गोमती यहां प्राकृतिक प्रवाहों कुकरैल व अकरद्दी से मिलती है. लखनऊ में गोमती नदी सर्वाधिक प्रदूषित होती है, क्योंकि यहां 26 असंशोधित नाले नदी में गिराए जाते है. लखनऊ के बाद बाराबंकी में रेठ व कल्याणी उपनदी गोमती में प्रवाहित होती है. जिससे आगे सुल्तानपुर तथा जौनपुर को आधे में विभाजित करती हुई गोमती जौनपुर में सई नदी (गोमती की सबसे प्रमुख उपनदी) में मिलकर लगभग 60 फुट तक चौड़ी हो जाती है.
गोमती नदी उत्तरप्रदेश की जीवनरेखा मानी जाने वाली सबसे बड़ी बरसाती व भूजल सिंचित नदी है. यह केवल जल के प्राकृतिक स्त्रोत के लिए ही नहीं बल्कि अपने कई एतिहासिक घाटों के लिए भी प्रसिद्ध है. मंझरिया घाट, धौबियाघाट, नैमिषारण्य, धोपाप घाट, ढकवा घाट, गौघाट, कुड़ियाघाट, मेहंदीघाट, ईमलीघाट, गोमती मोड़ पुल घाट, मरी घाट, हनुमान घाट इत्यादि जैसे सांस्कृतिक महत्त्व के घाट भी गोमती नदी को विशेष स्वरुप प्रदान करते हैं. एक सहायक नदी के रूप में गोमती न केवल गंगा को जीवंतता प्रदान करती है अपितु एक बड़े क्षेत्र के लोगों की जलआपूर्ति सम्बंधी आवश्यकताओं, कृषि कार्यों में योगदान देकर तकरीबन 7500 वर्ग क्षेत्र को लाभान्वित भी करती है.