4 जून, 2018
लखनऊ, उत्तर प्रदेश
गोमती को सीवेज की मुक्त करने की कोशिशें मजाक बनकर रह गई है. जल निगम ने अपने ही दावे को धता बता कर हर रोज सैकडों लीटर सीवेज बगैर शोधन किए गोमती में बहाया जा रहा है. टाइम्स ऑफ इंडिया की हालिया रिपोर्ट पर गौर करे तो हालात साफ है कि जल निगम के दावों के विपरीत महज चार साल पहले भरवारा में बनाया गया 412 करोड़ की लागत का सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) गोमती को किसी तरह राहत फिलहाल नहीं दे सका है.
गौरतलब यह भी है कि जल निगम डंके की चोट पर राजधानी से जनित सैकड़ों लीटर सीवेज को बगैर उपचार के गोमती में यूँ ही बहा रहा है. फर्क बस इतना है कि गोमती के प्रति सरोकार रखने वालो की नजर बचाकर सीवेज को गोमती की कोख में कुछ आगे बढ़कर इंदिरा डैम के बाद नदी में गिराया जा रहा है.
बताते चलें कि जल निगम द्वारा बनाया गया एसटीपी एशिया का सबसे बड़ा एसटीपी है. जल निगम का दावा था कि 345 एमएलडी के एसटीपी के शुरू होने के बाद गोमती सजला हो जाएगी. तर्क यह दिया गया था कि गोमती के आँचल को मैला कर रहे नालों को मोड़कर सीधे भरवारा स्थित एसटीपी में ले जाकर उपचारित किया जाएगा. उपचारित सीवेज को गोमती में प्रवाहित किया जाएगा, जो स्लज बनेगा उसे किसानों को बेचा जाएगा. यही नहीं, एसटीपी का संचालन उसी बिजली से किया जाएगा जो सीवेज शोधन के उपरान्त तैयार होगी, लेकिन यह सारे दावे धरे रह गए और चार साल पहले बनकर तैयार हुआ एसटीपी बीते एक वर्ष से ठप चल रहा है. हालांकि गोमती के परियोजना निदेशक एन यादव बताते हैं कि लगभग 115 एमएलडी सीवेज का उपचार किया जा रहा है और शेष करीब 230 एमएलडी सीवेज को बगैर शोधन के इंदिरा डैम के बाद गोमती में निस्तारित किया जा रहा है.
जाहिर है कि एसटीपी के जरिए गोमती को सीवेज मुक्त करने के तमाम दावे फिलहाल धूल चाट रहे हैं और गोमती की कोख में सीवेज का जाना बदस्तूर जारी है, फर्क बस इतना सा है कि समस्या को आगे बढ़ा दिया गया है.
जल निगम अधिकारियों की मानें तो कम्पनी जिसे एसटीपी के संचालन का जिम्मा सौपा गया था, उससे विवाद के चलते एसटीपी का संचालन करीब सालभर से ठप था. ऐसे में एसटीपी पर लगे स्क्रीन, पंप ,फ्लोटिंग व फिक्सड एयरेटर आदि बेकार हो चुके हैं. हालांकि भारी भरकम लागत से तैयार हुआ एसटीपी साल –दो साल भी क्यों नहीं चल सका इसका जवाब किसी के पास नहीं है.
एसटीपी को पुनः पूरी क्षमता से शुरू करने के लिए बीस करोड़ रुपये की मांग की गई है. मुख्य सचिव आलोक रंजन की अध्यक्षता में हुई बैठक में धनराशि दिए जाने पर सहमति बन चुकी है, बताया जा रहा है कि धन मिलने के तीन माह बाद एसटीपी को पुनः चालू किया जा सकेगा.