आज जब सारा विश्व कोरोना काल से जूझते हुए मजबूत इम्युनिटी की बात कर रहा है और कोरोना इलाज की बात घूम फिर कर ताजे आहार और आचे हवा पानी पर आ टिकी है, ऐसे में स्पष्ट हो जाता है कि हम सभी के लिए प्रकृति के संसाधन उसी प्राकृतिक स्वरुप में कितने जरुरी हैं. आज तक अपनी भोग-विलासिता के लिए जिस प्रकृति को हम तरह तरह से त्रस्त करते आये हैं, आज हम सभी ने कहीं न कहीं यह ज्ञान पाया है कि बड़ी से बड़ी महामारी का इलाज भी उसी प्रकृति की गोद में छिपा है. नदियां, पर्वत, जंगल, वन-उपवन, वर्षा आदि के रूप में छिपे प्रकृति के आशीष को आज हम सभी को समझना होगा और खुद से भी अधिक इनके संरक्षण की बात जन जन में प्रसारित करनी होगी.
प्रकृति और गोमती नदी के कुछ ऐसे ही संरक्षण के प्रयासों में जुटा है “गोमती सेवा समाज”, जो मुख्यतः गोमती के प्रमुख प्रवाह क्षेत्र लखीमपुर खीरी में कार्यरत होकर अपने प्रयासों से गोमती को उसका पुरातन स्वरुप लौटाने का हर प्रयास कर रहा है, साथ ही आम लोगों को गोमती की संस्कृति, इतिहास आदि के साथ जोड़ते हुए नदी के संरक्षण की मुहिम चलाये हुए है. प्रदेश में लॉकडाउन खुलने के साथ साथ ही गोमती नदी संरक्षण को बल देने के लिए गोमती सेवा समाज की टीम ने बीते रविवार स्वामी विवेकानंद घाट (इमलियाघाट) पर प्राकृतिक वातावरण में विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया एवं इस वर्ष के मानसून सीजन में गोमती तटों पर पौधारोपण अभियान को भी प्रारम्भ कर लिया गया है. इसके अतिरिक्त टीम के द्वारा गोष्ठी व पौधरोपण के बाद गोमती भ्रमण कर नदी की वर्तमान स्थिति को भी जाना गया.
दरअसल कोरोना आपदा के बाद से संगठन द्वारा यह प्रथम गतिविधि है, जिसका प्रमुख उद्देश्य गोमती सेवा समाज के सदस्यों और गोमती मित्रों में पूर्व की भांति नवऊर्जा व्याप्त करना है ताकि सेवा कार्य को गति दी जा सके. मानसून आने में अब कुछ ही समय शेष है और यह पौधारोपण करने का सर्वोत्तम समय माना जाता है, इसी के चलते टीम ने 100 पौधे नदी के तटीय क्षेत्रों में रोपें. इनमें नीम और आम के पौधें रोपण करते हुए गोमती संवर्धन के प्रति समाज को जागरूक किया.
प्रकृति को समर्पित इस कार्यक्रम में गोमती सेवा कार्यों के प्रेरणास्रोत सुप्रसिद्ध नेचर फोटोग्राफर सतपाल सिंह, अध्यक्ष प्रशांत मिश्रा, सचिव मनदीप सिंह, संत गुरमेल सिंह, उपाध्य्क्ष अनुभव गुप्ता, प्रियांशु त्रिपाठी, रजत दीक्षित, आकर्ष शाह, अमन चौहान, प्रणव और मंदिर के पुजारी विवेकानंद घाट पर मौजूद रहे. वृक्षारोपण के दौरान गोमती मित्रों ने बताया कि केवल पौधे लगा देना ही पर्याप्त नहीं होता बल्कि उनकी देख-रेख की जिम्मेदारी भी हमें लेनी चाहिए. इसी कड़ी में टीम द्वारा भ्रमण करते हुए सभी पौधों का सर्वेक्षण भी किया जाता है. इसके साथ साथ स्थानीय सहयोग की सराहना करते हुए गोमती सेवा समाज के सदस्यों ने बताया कि,
“पौधरोपण और उनकी देख रेख में गोमती सेवा समाज को स्थानीय लोगों से बड़ी सहायता मिलती है. पेड़ों के रोपण से लेकर उनकी देखभाल तक वहाँ पर रहने वाले लोग पूर्णतयः हमारा सहयोग करते आये हैं और यही कारण है कि आज गोमती के किनारे लगाए गए पौधों में 100 से अधिक पौधे वृक्षों का रूप लेने को तैयार हैं. भले ही यह संख्या कम प्रतीत हो सकती है परंतु अधिक पौधे लगाकर उन्हें भूल जाने से कहीं श्रेष्ठ व उचित यह है कि कम पौधों को रोप कर बड़े होने तक उनकी सुरक्षा सुनिश्चित की जाये. प्राकृतिक रूप से गोमती बहाव सदैव अविरल बना रहे इसके लिये गोमती तटों पर दोनों तरफ सघन पौधारोपण कर वन तैयार करना ही एक मात्र उपाय है. मानसून के आते ही टीम एक विशाल पौधरोपण मुहिम शुरू करेगी व इसमें आप सभी का सहयोग प्रार्थनीय है.”