जौनपुर शहर में गोमती नदी का प्रदूषण स्तर निरंतर बढ़ता जा रहा है. हाल ही में संकट मोचन फाउंडेशन वाराणसी के द्वारा शहर के हनुमान घाट से सैंपल लेकर प्रयोगशाला में जांच के लिए भेजे गए थे, जिनके चौकाने वाले नतीजे मिले. रिसर्च के मुताबिक जौनपुर में गोमती नदी के पानी का टीडीएस 656 और फीकल कोलिफोर्म काउंट (एफसीसी) 4.60 लाख तक जा पहुंचा, जो मानक स्तर से कईं गुना अधिक है.
क्या है टीडीएस और एफसीसी?
टोटल डिसाल्व्ड सोलिड्स यानि टीडीएस का मतलब पानी में कुल घुलित ठोस से है. पानी में मिट्टी में उपस्थित खनिज घुले रहते हैं जबकि भूमिगत जल में ये छन जाते हैं. सतह के पानी में खनिज उस मिट्टी में रहते हैं, जिस पर पानी का प्रवाह होता है. पानी में घुले खनिज को आम तौर पर कुल घुलित ठोस, टीडीएस कहा जाता है. वहीं फीकल कोलीफोर्म काउंट यानि एफसीसी कोलीफ़ॉर्म एक प्रकार का जीवाणु है जो कि पानी के माइक्रोबायोलॉजिकल अध्ययन के लिये एक सूचक अवयव के रूप में प्रयुक्त किया जाता है. कोलीफ़ॉर्म विशिष्ट बैक्टीरिया (जीवाणु) का एक समूह होता है, जो मिट्टी, खराब सब्जी, पशुओं के मल अथवा गन्दे सतह जल में पाया जाता है और पानी में इसकी अधिक मात्रा मनुष्यों में बीमारियां पैदा कर सकता है.
क्या कहते हैं अध्ययनकर्ता?
वाराणसी में गंगा सहित प्रदेश की सभी छोटी-बड़ी नदियों के जल का लगातार अध्ययन कर रही संकट मोचन फाउंडेशन के निदेशक प्रोफेसर बीएन मिश्र का कहना है कि गोमती नदी के हालत पर संस्था निरंतर कार्य कर रही है, जिससे पता चलता है कि नदी में प्रदूषण स्तर निरंतर बढ़ता जा रहा है. यदि भविष्य में इसी तरह सीवरेज और कारखानों की गन्दगी नालों के माध्यम से गोमती में जाती रही तो आने वाले समय में हालत ओर अधिक विकट हो सकते हैं. यदि गोमती ऐसे ही प्रदूषित होती रही तो गंगा पर भी इसका विपरीत प्रभाव पड़ेगा.
जौनपुर में गोमती
गौरतलब है कि गोमती शहर की पांच प्रमुख नदियों में से एक है, जो करीब 70 किलोमीटर का सफ़र तय करते हुए जौनपुर के बदलापुर, मल्हनी, जाफराबाद और केराकत क्षेत्रों से होते हुए गाजीपुर जिले में गंगा में मिल जाती है. यहां गोमती सर्वाधिक प्रदूषित इंडस्ट्रियल वेस्ट के कारण होती है, साथ ही ग्रामीण व शहरी स्तर पर सीवेज नदी में जाना भी गोमती में जहर घोल रहा है. इस 70 किमी की यात्रा के दौरान तकरीबन 21 नाले गोमती की दशा बिगाड़ रहे हैं.
यहां नालों के जरिये प्रदूषित हो रही गोमती को जीवनदान देने के लिए स्वच्छ गोमती अभियान के जरिये गोमती एक्शन प्लान का प्रोजेक्ट केंद्र सरकार को सौंपा था, जिसे देश के विख्यात केमिकल इंजीनियर प्रो. इंद्रमणि मिश्र की अध्यक्षता में देश के प्रमुख वैज्ञानिकों बीएचयू से प्रो सिद्धनाथ उपाध्याय, खडगपुर से प्रो अमित मित्तल, आईआईटी रुड़की से प्रो विमलचंद श्रीवास्तव, आईआईटी दिल्ली से प्रो विवेक कुमार ने बनाया था.
क्या कहते हैं अधिकारी?
गोमती स्वच्छता को लेकर पिछले काफी समय से अधिकारियों के प्रयास जारी हैं, लेकिन आज तक कोई सख्त कदम नहीं उठाया जा सका है. लगभग एक वर्ष पहले ही तत्कालीन नगर विकास राज्यमंत्री के प्रयासों से सीवर लाइन की मंजूरी सरकार ने दी थी, लेकिन यह कार्ययोजना जमीनी स्तर पर कभी लागू नहीं हो पाई.
संकट मोचन फाउंडेशन की रिपोर्ट आने के बाद जौनपुर नगर पालिका के वरिष्ठ अधिकारियों का कहना है कि शहर में सीवरेज सिस्टम का सही क्रियान्वन करने के लिए अमृत योजना के तहत 300 करोड़ का बजट पास हुआ है, जिसके लिए टेंडर भी जारी हो चुका है. इस योजना पर काम शुरू होते ही सीवरेज प्लांट लग जायेंगे और कोई भी नाला सीधे गोमती में नहीं गिरेगा.