कुकरैल नाला - गोमती की प्राकृतिक सहायक नदी
लगभग 26 किमी लम्बा एवं 200 मीटर चौड़ाई लिए हुए कुकरैल नाला मुख्यतः एक भूजल सिंचित नदिका है, जो कुकरैल आरक्षित वन क्षेत्र से उद्गमित होकर गोमती नदी में माध्यम धारा के रूप में प्रवाहित होता है. यह केंद्रीय गंगा मैदान के नीचे गोमती-घघारा नदी के इंटरफ्लूव क्षेत्र में स्थित है. कुकरैल नाले बेसिन का कुल क्षेत्र 86.75 वर्ग किमी है, प्रथम क्रम की धाराएं बेसिन पर अधिकतम हावी है. कुकरैल बेसिन की कुल परिधि 49.46 किमी है तथा मूल से बेसिन की अधिकतम लंबाई नदी के संगम से अंत बिंदु तक 16.76 किमी है. कुकरैल नाले में गिरने वाली प्रथम, दूसरी व तीसरी क्रम की सहायक नदियों की कुल संख्या क्रमशः 77, 14 और 3 है. इन सभी उपधाराओं की कुल लंबाई क्रमशः 40.55 किमी, 12 किमी, 4 किमी तथा 23 किमी है. सभी क्रमों की धाराओं की कुल संख्या 95.55 किमी की कुल लंबाई को कवर करती है, जो लखनऊ शहर की एक प्रमुख जल निकासी प्रणाली है और गोमती के लिए बेहद मूल्यवान है.
दीगर है कि नदी जल प्रणाली ना केवल वनस्पतियों एवं जीवों की विस्तृत श्रृंखला को पोषित करती है अपितु केंद्रीय गंगा जलोढ़ मैदानों को भी सिंचती है. इस लिहाज से देखा जाए तो कुकरैल नाला लखनऊ जिले में वर्षा जल को गोमती तक पहुंचाने का कार्य करता है, साथ ही भूजल रिचार्ज का भी मुख्य स्त्रोत है. मानसून के समय यह बारिश के प्रवाह को जल निकासी से गोमती में प्रवाहित करके न केवल जलप्रलय के खतरे को कम करता है, बल्कि बाढ़कृत मैदानों की मृदा को सम्पोषित करके गंगा जल प्रणाली को समृद्ध बनाए रखने में अहम भूमिका निभाता है. परन्तु विगत कुछ वर्षों से यह अनदेखी का शिकार हुआ जिससे वर्तमान में यह एक मृत धारा बनकर गोमती की मुख्य धारा से कट गया है. यदि सेटेलाइट छवियों द्वारा निरीक्षण करें तो ज्ञात होता है कि किस प्रकार कभी गोमती बैराज के समीप गोमती में मिलने वाला कुकरैल आज प्रदूषित होकर स्वयं में ही सिमट गया है, और यही नहीं अब यह केवल असंशोधित सीवेज से गोमती को मैला कर रहा है.