10 जून, 2018
लखनऊ, उत्तर प्रदेश
गोमती नदी के लगातार घटते जल स्तर से लखनऊ में पेयजल की दिक्कतें बढ़ गयी हैं. टीओआई की हालिया रिपोर्ट के अनुसार लखनऊ की लगभग एक तिहाई जनसंख्या पेयजल संकट से ग्रस्त है, गोमती नदी में निरंतर घटते जलस्तर के कारण जल संस्थान ने निर्णय लिया है कि पानी का बंटवारा सेंट्रल एवं पुराने लखनऊ में भी किया जाएगा. मानसून के आने तक पेयजल का विभाजन इसी प्रकार किये जाने का अंदेशा लगाया जा रहा है. जल संस्थान द्वारा दिए गये वक्तव्य के अनुसार गौघाट पम्पिंग स्टेशन पर गोमती का जल स्तर अपने मानक स्तर 346.7 फीट से घट कर 346.3 फीट रह गया है, जिस कारण जल संस्थान को जल वितरण सम्बंधी निर्णय लेना पड़ा है.
अमीनाबाद, रकाबगंज, नाका, ठाकुरगंज, ऐशबाग, नक्खास, बालागंज, लालबाग इत्यादि स्थानों पर जल संस्थान पहले ही सुबह तथा शाम की जलआपूर्ति आधा घंटा कम कर चुका है. अब संस्थान द्वारा जलापूर्ति का समय आधा किये जाने पर विचार किया जा रहा है. मानसून के आगमन से पूर्व ग्रीष्म ऋतू में अक्सर गोमती का जलस्तर घट जाता है, परन्तु इस बार यह समस्या अत्याधिक देखने को मिल रही है. विगत वर्ष तक जलस्तर घटने पर शारदा नहर का 100 क्यूसेक जल मई एवं जून माह में हर रोज गोमती में छोड़ा जाता था, परन्तु इस वर्ष सिंचाई विभाग ने ऐसा नहीं किया. नतीजतन गोमती में जल कम होने का नुकसान लखनऊ को उठाना पड़ा.
जल संस्थान के मैनेजर एस.के.वर्मा ने बताया कि इस बार शारदा नहर में भी जलस्तर कम होने के कारण गोमती में पानी नहीं छोड़ा गया, जिससे इस प्रकार के हालत बने. अब केवल मानसून आने पर ही स्थिति में सुधार होगा. इसके अतिरिक्त पानी कम होने से जल अत्याधिक प्रदूषित भी है, जिसकी वजह से अच्छे से ट्रीटमेंट के बावजूद भी पानी का रंग व गंध नहीं सुधर रहे हैं.
हसनगंज, नईबस्ती, लालबाग आदि कई कॉलोनियों के निवासियों ने पेयजल में सीवेज के कण मिलने की बात कही, साथ ही बहुत से इलाकों में निवासियों द्वारा जल में कीड़े एवं झागदार पानी की शिकायत की. कह सकते हैं कि साल दर साल गोमती की दशा बदतर होती जा रही है और यदि सरकार द्वारा अभी भी नदी संरक्षण के लिए सख्त कदम नहीं उठाए गये तो आने वाले समय में हालत और अधिक खराब हो सकते हैं.